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Motivational Hindi Kavita | शिखर की तू तलाश कर | KaviKumar Sumit | Poems for farewell of X 10 Std students by teacher


शिखर की तू तलाश कर





क्यूं रेंगता जमीन पर ,
शिखर की तू तलाश कर,
है कोयला तू रत्न बन ,
बिखर जा खुद तराश कर |

तेरे ह्रदय की अग्निज्वाल,
ज्वालामुखी से तेज हों,
कदम तेरे विवेक के ,
प्रकाश से भी तेज हो |

न बन तू धूर्त याद कर,
टपक रही है छत तेरी,
मीलों दूर बैठ कर माँ,
लिख रही है ख़त तेरी |

उतर-उतर उतर जा अब ,
घमंड के आकाश से,
निकल जा दूर शीघ्रतम,
विनाश के निवास से |

व्यक्तिगत बुराइयों का ,
करदे भूत में दमन,
अनुभवी दिमाग से ,
विकास का विकास कर |

तेरा ईमान सत्य है ,
तो अटकलें पड़ी हैं क्या ?
परमपिता जो साथ है,
साथ की कमी है क्या ?

तू बन चुका जो पात्र है,
हसीं का इस समाज में,
धैर्य की रुई बनाना ,
सीख लेना कर्ण से |

शीलता का वस्त्र और,
धारणा प्रगति की हो,
निकल जा तीव्र वेग से,
बुराईयों को भेदकर |

बना कलम को वज्र ले,
विनम्रता का रथ बना,
गूढ़ ज्ञान कर्म से,
निज कल्पना को सच बना |

                -KaviKumar Sumit