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Hindi Poem For Annual Day | पार्थ प्रार्थना | KaviKumar Sumit



पार्थ प्रार्थना





देश भारत कि चहुँमुखी उन्नति के लिए भगवन से कामना 
करते हुए समस्त देशवासियों को यह कविता समर्पित करता हूँ | ) 



सान्द्र तुष्टि तनु विकार मूर्त स्वप्न देश के,
प्रगति विभव व धारिता शक्ति अश्व देश के |

नहीं-नहीं प्रकीर्णता भाव सम समान हैं,
गुणधर्म सत्व निष्ठ प्रमाण दिक् पुराण हैं |

नम नमन कोटि कोटि व्यतिकरण विवेक में,
तरंग सत्य की बहे परि संसार में |

शयन मुक्त कार्यकरण तरलता सदा रहे,
रहित तनाव पृष्ठभूमि आदा प्रदा रहे |

तकनीकी नीति तक जलन तनिक न देह में,
ज्वाल न्याय हेतु हो दुष्ट तिमिर गेह में |

चुनौतियाँ-चुनौतियाँ दें मृत्यु भी स्वीकार्य है,
विकास का विकास हो बस यही अनिवार्य है |

रज-रज स्वर्ण की रत्न का पाषाण हो,
कान्ति कान्त विष्णु की स्वर्ग का निर्माण हो |

सु-संगठन बने मितव्यय भण्डार का,
हिन्दी अजर रहे पट सुविचार का |

                        -कविकुमार सुमित